Monday, 11 July 2011

असम: रेलवे की लापरवाही से हुआ धमाका? एपीए ने ली जिम्‍मेदारी

 
गुवाहाटी/फतेहपुर. रविवार को हुए दो रेल हादसों ने रेल में सुरक्षित सफर पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। असम में रेल पटरी पर हुए धमाके की जिम्‍मेदारी आदिवासी पीपल्स आर्मी ने ली है। हालांकि, इससे पहले पुलिस मान रही थी कि ब्लास्ट के पीछे बोडो उग्रवादियों का हाथ है। उग्रवादी संगठन उल्‍फा के परेश बरुआ की अगुवाई वाले धड़े ने इनकार किया है कि असम में हुए रेल धमाके में उसका हाथ है। इस बीच, प्रधानमंत्री ने रेल राज्य मंत्री मुकुल रॉय को असम जाकर जायजा लेने को कहा है। इस धमाके को लेकर रेलवे पर अंगुली उठ रही है। वजह यह है कि हादसे से तीन दिन पहले ही रेलवे ने पटरी पर सुरक्षा जांच बंद कर दी थी।

रविवार देर शाम करीब साढ़े आठ बजे असम के कामरूप जिले में रंगिया और घागरापार के बीच धातकुची में गुवाहाटी से पुरी जा रही एक्सप्रेस ट्रेन आईईडी ब्लास्ट के चलते पटरी से उतर गई। हादसे में घायल चार लोगों की हालत नाजुक बताई जा रही है जबकि ८० लोग घायल हैं। पुलिस का कहना है कि धमाका रिमोट से किया गया है। आईईडी ब्लास्ट इतना तेज था कि ट्रैक पर गड्ढा हो गया। धमाके के चलते आठ बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसे में घायल सभी यात्रियों का रंगिया के ही अस्पताल में इलाज चल रहा है। असम में सक्रिय आदिवासी पीपल्स आर्मी ने इस हादसे की जिम्मेदारी ली है। इसी साल जून में आदिवासी पीपल्स आर्मी (एपीए) ने सियालदह से गुवाहाटी जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस के एक कोच में भी विस्फोटक रखने का दावा किया था। हालांकि, बम को समय रहते निष्क्रिय कर दिया गया था। एपीए आदिवासी ऑटोनॉमस काउंसिल के गठन की मांग कर रहा है।

इस धमाके के लिए अब रेलवे पर ही सवाल उठाए जा रहे हैं। घटना से तीन दिन पहले ही रेलवे ने पटरी पर सुरक्षा जांच बंद कर दी थी। यह जांच राजधानी एक्‍सप्रेस गुजरने से पहले अब भी की जाती है, लेकिन बाकी ट्रेनों के लिए इसे बंद कर दिया गया। रेलवे के प्रवक्‍ता के मुताबिक 30 जून से ही नॉर्थ ईस्‍ट फ्रंटियर रेलवे हर ट्रेन गुजरने से पहले पायलट ट्रेन चला कर सुरक्षा जांच करता था, लेकिन अब इसे केवल राजधानी एक्‍सप्रेस तक सीमित रखा गया है।
असम में रेल हादसे से आठ घंटे पहले उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में भी एक हादसा हुआ था। यहां कालका मेल के कई डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इसमें मरने वालों की तादाद 67 पहुंच गई है। राहत और बचाव का काम अंतिम दौर में है। मंगलवार सुबह तक हावड़ा-कानपुर रेल मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही सामान्य होने की उम्मीद है।

रविवार को दिन में करीब 12.20 बजे फतेहपुर जिले के मलवां रेलवे स्टेशन के पास हावड़ा से दिल्ली आ रही कालका मेल के 15 डिब्बे पटरी से उतर गए थे, जिसमें चार एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गए। आज 25 शव निकाले गए हैं। मरने वालों में एक स्वीडन का नागरिक भी है। इस हादसे में 250 से ज़्यादा लोग घायल हैं। कालका ट्रेन हादसे में मारे गए स्वीडिश नागरिक की पहचान विक के तौर पर उसके साथी यात्री ऑस्कर ने की है। ऑस्कर भी स्वीडिश नागरिक है। पुलिस के मुताबिक ऑस्कर ने यह भी दावा किया है कि एक अन्य स्वीडिश यात्री हादसे के बाद से लापता है।

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनय मित्तल का कहना है कि मंगलवार सुबह तक हावड़ा-दिल्ली रेल ट्रैक यातायात के लिए पूरी तरह से खोल दिया जाएगा। मित्तल ने यह भी कहा कि चीफ कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (लखनऊ) प्रशांत कुमार को पूरे मामले की जांच करने को कहा गया है। विनय मित्तल ने यह भी कहा कि केबिनमैन का कहना है कि उसने हादसे से ठीक पहले ट्रेन के इंजन से धुंआ निकलते और ट्रेन को डगमगाते हुए देखा था। इस बीच, हादसे की शिकार हुई कालका मेल के सुरक्षित बचे करीब 167 यात्री सोमवार को विशेष ट्रेन से दिल्ली पहुंच गए।

आपकी राय
रेल मंत्रालय हादसों से कब सबक सीखेगा? बजट में सुरक्षा और संरक्षा के नाम पर दिखाया जाने वाला खर्च ज़मीन पर क्यों नहीं दिखता है? क्या असम में जांच हटाने वाले अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए? जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए?
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